वास्ते हज़रत मुराद-ए- नेक नाम       इशक़ अपना दे मुझे रब्बुल इनाम      अपनी उलफ़त से अता कर सोज़ -ओ- साज़    अपने इरफ़ां के सिखा राज़ -ओ- नयाज़    फ़ज़ल-ए- रहमान फ़ज़ल तेरा हर घड़ी दरकार है फ़ज़ल-ए- रहमान फ़ज़ल तेरा हो तो बेड़ा पार है

 

 

हज़रत  मुहम्मद मुराद अली ख़ां रहमता अल्लाह अलैहि 

 

हज़रत-ए-शैख़ अब्बू अली कातिब

रहमतुह अल्लाह अलैहि

 

आप रहमतुह अल्लाह अलैहि का इस्म गिरामी शेख़ अब्बू अली कातिब रहमतुह अल्लाह अलैहि है। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि असल में मिस्री थे। हज़रत-ए-शैख़ अब्बू अली रोदबारी रहमतुह अल्लाह अलैहि के मुरीद और ख़लीफ़ा हैं। इस के इलावा भी कई मशाइख़ उज़्ज़ाम से सुहब्बतें रही हैं।

आप रहमतुह अल्लाह अलैहि फ़रमाते हैं कि मुझे जब भी कोई मुश्किल पीस आती हो तो में ख़ाब में आँहज़रत को देखता हूँ और इस मुश्किल के हल के लिए दरख़ास्त करता हूँ। अल्लाह तआला आँहज़रत की तवज्जा से मेरी मुश्किलें हल करदेता है।

आप रहमतुह अल्लाह अलैहि सफ़ीनता उल-औलीया के मुताबिक़ ३४६हिज्री में जबकि तज़करउल-आशिक़ीन के मुताबिक़ ३५६ हिज्री में इस दार फ़ानी से रुख़स्त हुए। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि की आख़िरी आरामगाह मिस्र में है।